दैनिक पञ्चांग, दैनिक चौघड़िया मुहूर्त ( जाने अपरा एकादशी के बारे में कुछ विशेष जानकारी )


🚩ॐ श्री हरिराम बाबा नम:🚩 
📜 दैनिक पंचांग 📜
    
🔅 तिथि  एकादशी  06:22:06
🔅 नक्षत्र  अश्विनी  26:28:00
🔅 करण :
    बालव  06:22:06
    कौलव  19:35:09
🔅 पक्ष  कृष्ण  
🔅 योग  शोभन  28:33:42
🔅 वार  रविवार  
☀ सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएँ    
🔅 सूर्योदय  05:22:48  
🔅 चन्द्रोदय  27:18:59  
🔅 चन्द्र राशि  मेष  
🔅 सूर्यास्त  19:16:37  
🔅 चन्द्रास्त  15:45:00  
🔅 ऋतु  ग्रीष्म  
☀ हिन्दू मास एवं वर्ष    
🔅 शक सम्वत  1943  प्लव
🔅 कलि सम्वत  5123  
🔅 दिन काल  13:53:48  
🔅 विक्रम सम्वत  2078  
🔅 मास अमांत  वैशाख  
🔅 मास पूर्णिमांत  ज्येष्ठ  
☀ शुभ और अशुभ समय    
☀ शुभ समय    
🔅 अभिजित  11:51:55 - 12:47:30
☀ अशुभ समय    
🔅 दुष्टमुहूर्त  17:25:26 - 18:21:01
🔅 कंटक  10:00:44 - 10:56:20
🔅 यमघण्ट  13:43:05 - 14:38:40
🔅 राहु काल  17:32:23 - 19:16:37
🔅 कुलिक  17:25:26 - 18:21:01
🔅 कालवेला या अर्द्धयाम  11:51:55 - 12:47:30
🔅 यमगण्ड  12:19:43 - 14:03:56
🔅 गुलिक काल  15:48:10 - 17:32:23
☀ दिशा शूल    
🔅 दिशा शूल  पश्चिम  
☀ चन्द्रबल और ताराबल    
☀ ताराबल  
🔅 अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती  
☀ चन्द्रबल  
🔅 मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुम्भ  

          ( दैनिक चौघड़िया मुहूर्त )

      🚩ॐ श्री हरिराम बाबा नम:🚩

🔅उद्वेग  05:22:48 -   07:07:02
🔅चल  07:07:02 -   08:51:16
🔅लाभ  08:51:16 -   10:35:29
🔅अमृत  10:35:29 -   12:19:43
🔅काल  12:19:43 -   14:03:56
🔅शुभ  14:03:56 -   15:48:10
🔅रोग  15:48:10 -   17:32:23
🔅उद्वेग  17:32:23 -   19:16:37
🔅शुभ  19:16:37 -   20:32:22
🔅अमृत  20:32:22 -   21:48:08
🔅चल  21:48:08 -   23:03:54
🔅रोग  23:03:54 -   24:19:40
🔅काल  24:19:40 -   25:35:26
🔅लाभ  25:35:26 -   26:51:12
🔅उद्वेग  26:51:12 -   28:06:58
🔅शुभ  28:06:58 -   29:22:43

             🚩 अपरा एकादशी 🚩

अपरा एकादशी अजला और अपरा एकादशी नाम से जानी जाती हैं। इस दिन भगवान त्रिविक्रम की पूजा करने का विधान है । अपरा एकादशी का अर्थ है, इस दिन व्रत करने का पुण्य अपार हैं । इस दिन व्रत करने से धन वैभव कीर्ति की बढ़ोतरी होती है और जिसे ब्रह्महत्या का पाप लगा हो वह भी मुक्त हो जाता हैं। इस दिन तुलसी, चंदन, गंगाजल इत्यादि से भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए । 

        ( अपरा एकादशी व्रत पूजा विधि )

१) अपरा एकादशी से 1 दिन पूर्व यानी दशमी को सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए, एवं रात्रि को भगवान का ध्यान करते हुए सोना चाहिए।

२) एकादशी के दिन प्रातः स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और उन्हें तुलसी चंदन गंगाजल इत्यादि अर्पित करनी चाहिए ।

३) व्रत करने वाले व्यक्ति को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए क्योंकि भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं ।

        ( अपरा एकादशी व्रत का महत्व )

पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति अपरा एकादशी का व्रत करता है उसे, जो फल गंगा के तट पर पितरों का पिंडदान देने से होता है, वही अपरा एकादशी करने से होता हैं।

           ( अपरा एकादशी व्रत कथा )

प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था। उसका छोटा भाई वजृध्वज बड़े भाई के प्रति द्वेष की भावना रखता था। अवसरवादी एक दिन छोटे भाई ने बड़े भाई की हत्या कर दी, और उसके शव को पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया । अकाल मृत्यु होने से राजा की आत्मा पीपल के वृक्ष पर रहने लगी उस मार्ग पर जाने वाले हर व्यक्ति को वह परेशान करते थी। 1 दिन उस मार्ग पर एक ऋषि जा रहे थे,  उस प्रेत ने उन्हें डराने का साहस किया ऋषि ने अपनी माया शक्ति के माध्यम से जान लिया कि वृक्ष पर कोई प्रेत आत्मा है, और उन्होंने उससे सारी बात पूछी तो उन्होंने बताया कि मेरी मृत्यु मेरे भाई के द्वारा हुई है ऋषि ने कहा कि आप चिंता ना करें मैं आपको मुक्ति प्रदान करवाऊंगा । ऋषि ने अपरा एकादशी का व्रत किया और द्वादशी के दिन अपने पुण्य का फल प्रेतात्मा को दे दिया जिससे उसकी मुक्ति हो गई ।

                (  हरिनाम सेवा। )

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